शरद पवार के जाल में फँसी भाजपा

शरद पवार के जाल में फँसी भाजपा


महाराष्ट्र का ताज़ा घटनाक्रम सियासत की नई चालबाज़ी दिखा गया है। जिस तेज़ी से वहाँ पर सियासी उलट-पुलट हुई है और रातों रात राष्ट्रपति शासन हटा दिया गया और फिर आनन-फ़ानन में मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को शपथ दिलवा दी गई उससे भाजपा के चाणक्य अमित शाह की सब तरफ़ चर्चा हो रही है। एनसीपी विधायक दल के नेता अजित पवार को सरकार में शामिल कर यह संदेश दिया गया कि शिवसेना के बिना भी भाजपा सरकार बनाने की ताक़त रखती है। यहाँ तक की बात सबकी समझ में आ रही है मगर इसके पीछे का चक्रव्यूह किसी के पल्ले अभी तक नहीं पड़ा। राजनीति के घाघ शरद पवार जितने शालीन नज़र आते हैं उतने ही ज़मीन में घसें राजनेता हैं। उनकी हर सियासी बिसात में कई चालों का समावेश होता है। उनकी अगली चाल, उसके बाद की अगली चाल क्या होगी, यह सब सिर्फ़ उन्हें पता होता है। इस मर्तबा भी उनकी चालों को समझने में भाजपा सहित राजनीति विशेषज्ञ चूक गए। सियासी लोग कहते हैं कि पवार को भाजपा से दोस्ती करने का प्लान शरद पवार का बनाया हुआ हो सकता है। अजित पवार विधानसभा चुनाव में ऐसा नाम था जिसके ऊपर हज़ारों करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने भाजपा के पक्ष में वोट माँगे थे। अजित पवार की मौजूदगी में शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस गठबंधन की सरकार अगर बन जाती तो भाजपा कोहराम मचा डालती। लगता है कि सोची-समझी रणनीति के तहत अजित पवार को भाजपा के पास इस प्रस्ताव के साथ भेजा गया कि आप उपमुख्यमंत्री बनाइए, एनसीपी विधायक समर्थन करेंगे। भाजपा जाने-अंजाने इस झाँसे में आ गई और प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। एक तरह से भाजपा ने अजित पवार को 'मिस्टर क्लीन' का सर्टिफ़िकेट देकर डिप्टी सीएम क़बूल कर लिया। इस तरह अजित पवार भ्रष्टाचारी नहीं रहे। आगे से भाजपा अब उस दमदारी से अपने द्वारा बनाए डिप्टी सीएम को चोर न कह सकेगी। शरद पवार इस तरह अपनी पहली चाल में कामयाब हुए। उनकी दूसरी चाल थी राष्ट्रपति शासन हटवाना और गठबंधन की सरकार बनाना। मौजूदा हालात के मद्देनज़र गठबंधन की तरफ़ से सरकार बनाने का दावा पेश होने के बाद राज्यपाल उन्हें मौक़ा नहीं देते क्योंकि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। गठबंधन के नेता बहुत जद्दोजहद करते तो राष्ट्रपति शासन हटाने का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेज दिया जाता। राष्ट्रपति इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भिजवा देते। इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने में कितना वक़्त लगता, यह कोई नहीं बता सकता। हो सकता था कि राष्ट्रपति शासन हटाने का प्रस्ताव लम्बे वक़्त तक अटका रहता। शरद पवार अजित रूपी तुरुप का इक्का फेंककर फ़ौरन राष्ट्रपति शासन हटवाने में सफल हुए। तीसरा मैसेज यह दे दिया गया कि भाजपा सत्ता की चाह में संविधान की तमाम मर्यादाओं को दरकिनार कर सकती है और कथित भ्रष्ट राजनेता अजित पवार से हाथ मिला सकती है। यही नहीं शरद पवार ने महाराष्ट्र में सरकार बनने की प्रक्रिया को लेकर फटाफट गठबंधन के तीनों दलों की तरफ़ से सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएँ दाख़िल करवा दी।