बांसी माघ मेला एवं प्रदर्शनी में मेला मजिस्ट्रेट की तैनाती आवश्यक

बांसी माघ मेला एवं प्रदर्शनी में मेला मजिस्ट्रेट की तैनाती आवश्यक


बांसी। वर्ष 1954 से लगातार बांसी में राप्ती नदी के तट पर मोनी अमावस्या के पर्व पर माघ मेला एवं प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। प्रशासन की लापरवाही से स्थानीय नगर पालिका परिषद माघ मेले की स्वयंभू मालिक बन गई है। और माघ मेला के दौरान लूट खसूट, व्यापारियों का शोषण, मेले में बाहर से आए हुए दुकानदारों के साथ बदसलूकी, उन्हें कोई विशेष सुविधा ना देना, दुकान के लिए जमीन आवंटन के नाम पर भारी धांधली करना, नगरपालिका की नियति बन चुकी है।
बताते चलें कि डेढ़ माह तक चलने वाले माघ मेला एवं प्रदर्शनी में ना केवल जिले के बल्कि प्रदेश स्तर तक के लोग आते हैं। माघ मेले में लगभग डेढ़ दशक पहले तक माघ मेला मजिस्ट्रेट की तैनाती होती रही। जिससे माघ मेले पर पूरा नियंत्रण मेला मजिस्ट्रेट का ही होता रहा तथा नगर पालिका परिषद की मनमानी और व्यापारियों तथा शो मैंनो के शोषण पर अंकुश लगता रहा। जिस मेले में हजारों  लाखों की भीड़ होती हो  वहां एक मेला मजिस्ट्रेट की तैनाती आवश्यक होती है।  जैसा कि पहले होता रहा है। पिछले डेढ़ दशक से अपनी मनमानी और मेले में आने वाले दुकानदारों के शोषण का पर्दाफाश ना होने पाए इसे बचाने के लिए नगर पालिका परिषद बांसी ने अपने स्तर से मेला मजिस्ट्रेट के पद को ही समाप्त कर दिया तथा माघ मेले में मेला मजिस्ट्रेट का कैंप नहीं लगाया जाता। जिससे माघ मेला के दौरान मेले में अराजक तत्वों की धूम रहती है और दुकानदारों तथा शो मैनो का खुलेआम शोषण होता है। यहां तक कि जमीन आवंटन के नाम पर सीधे दुकानदारों के नाम से दुकान अलाट नहीं की जाती। नगर पालिका परिषद अपने चहेतों को लंबा लंबा प्लाट अलाट कर देती है। बाद में वही चहेता दुनी चौगुनी दाम पर माघ मेला में आने वाले दुकानदारों को जमीन आवंटित करता है। जब की प्रक्रिया है कि दुकानदार छोटा हो या बड़ा उसके नाम से जमीन की रसीद काटी जाए। इस कार्य में नगर पालिका परिषद लंबा खेल करती है और दुकानदारों का खुला शोषण माघ मेला में होता है। माघ मेला मजिस्ट्रेट की तैनाती के समय इस शोषण पर अंकुश था तथा नगरपालिका के ऊपर मेला मजिस्ट्रेट का नियंत्रण होता था। नगर के तमाम जागरूक लोगों ने माघ मेला में आने वाले बाहरी दुकानदारों तथा शो मैनो को शोषण से बचाने के लिए तथा माघ मेला पर नियंत्रण के लिए माघ मेला मैदान में मेला अवधि तक के लिए उप जिलाधिकारी बांसी या तहसीलदार बांसी को मेला मजिस्ट्रेट नामित कर उनका कैंप मेला मैदान में ही लगवाने की मांग की है।